
बिहार में चुनाव से पहले इस नेता ने कर दिया चैलेंज
बिहार में चुनाव से पहले इस नेता ने कर दिया चैलेंज, ‘मुखिया का चुनाव भी नहीं जीत सकते जीतन राम मांझी’Assembly Election 2025: कुमार सर्वजीत ने कहा कि जीतन राम मांझी का चरित्र इस तरह का है कि वो जिस मंदिर में जाते हैं उसी धर्म को अपना लेते हैं. उनकी भाषा का हिसाब पूरे बिहार की जनता लेगी.
बिहारNews: केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संयोजक जीतन राम मांझी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले अपनी ताकत दिखाने वाले हैं. 28 फरवरी को पटना के गांधी मैदान में दलित समागम के नाम से एक बड़ी रैली करेंगे. उनकी इस रैली से पहले अब सियासत शुरू हो गई है.
आरजेडी के दलित नेता और गया लोकसभा क्षेत्र से जीतन राम मांझी के प्रतिद्वंद्वी रहे विधायक एवं पूर्व मंत्री डॉ. कुमार सर्वजीत ने जीतन राम मांझी को खुला चैलेंज दे दिया है. शुक्रवार (21 फरवरी) को मीडिया से उन्होंने कहा है कि अगर जीतन राम मांझी को लगता है कि हम दलितों के नेता हैं तो अकेले एक बार चुनाव लड़कर देखें. हम बीजेपी को भी कहेंगे कि एक बार जीतन राम मांझी को मौका दे कि वह अकेले चुनाव लड़ें. जीतन राम मांझी खुद मुखिया का चुनाव भी नहीं जीत सकते हैं.
बिहार News: ‘जिस मंदिर में जाते हैं उसी धर्म को अपना लेते हैं’
कुमार सर्वजीत ने कहा कि मेरे पास तो कोई शब्द नहीं है. जीतन राम मांझी बुजुर्ग व्यक्ति हैं. कहने में भी थोड़ा अच्छा नहीं लगता है, लेकिन उनका चरित्र इस तरह का है कि वो जिस मंदिर में जाते हैं उसी धर्म को अपना लेते हैं. सत्ता के प्रति वह लालची हैं. उन्होंने लालू यादव से विनती की थी कि वे अपने बेटे को राजनीति में चमकाना चाहते हैं. लालू यादव ने उनके बेटे को एमएलसी बनाया. बाद में मंत्री भी बना दिया. इसका कर्ज भी वे अभी तक लालू यादव का नहीं उतारे हैं.
इतने अनुभवी नेता लालू यादव के खिलाफ अनाप-शनाप बयान देते हैं. डॉ. कुमार सर्वजीत ने कहा कि इनको लग रहा है कि ऐसे बोलने से इन्हें कोई प्रधानमंत्री बना देगा. समय की मांग है. समय एक दिन आएगा और उनकी भाषा का हिसाब पूरे बिहार की जनता लेगी.
‘अगर ताकत है तो अकेले चुनाव लड़कर दिखाएं’
मांझी की दलित समागम रैली पर तंज कसते हुए कुमार सर्वजीत ने कहा कि अगर वह 10 हजार भीड़ नहीं जुटाएंगे तो उनको कोई मुखिया का भी टिकट देगा क्या? अगर ताकत है तो अकेले चुनाव लड़कर दिखाएं. उनके उम्मीदवार 500 से ज्यादा वोट नहीं लाएंगे. अकेले तो वह मुखिया और सरपंच भी नहीं बन पाएंगे. वह दलित समागम के नाम पर कुछ भीड़ जुटाएंगे और उसके बाद अपने गठबंधन में टिकट का दबाव बनाएंगे तो उन्हें 4-5 सीट गठबंधन में मिल जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सपने को चूर करने वाले ऐसे नेता को बिहार की जनता इसी बिहार विधानसभा चुनाव में सबक सिखाएगी.