एक कस्टमर ने परेशान होकर टाटा मोटर्स और डीलर के खिलाफ उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज की, लेकिन ऐसा क्या हुआ जो कस्टमर को ये कदम उठाना पड़ा? दरअसल चंडीगढ में रहने वाले एक शख्स ने Tata Nexon खरीदी जिसमें तीन महीने में ही इतनी दिक्कत आईं कि आपको यकीन ही नहीं होगा. कस्मटर को जब कंपनी और डीलर से सपोर्ट नहीं मिला तो ग्राहक ने अदालत का दरवाजा खटखटाया.
लोहालाट गाड़ी बनाने और बेमिसाल सेफ्टी फीचर्स की वजह से ग्राहकों के बीच टाटा कंपनी की गाड़ियां काफी पॉपुलर हैं. यही वजह है कि टाटा मोटर्स का मार्केट में काफी दबदबा है, लेकिन चंडीगढ़ में रहने वाले एक व्यक्ति का टाटा मोटर्स के साथ एक्सपीरियंस कुछ खास अच्छा नहीं रहा. इस शख्स ने टाटा मोटर्स और डीलर के खिलाफ खराब गाड़ी बेचने के लिए शिकायत दर्ज कराई थी.
दुर्गेश कुमार झा ने टाटा मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई और आरएसए डायनेमिक मोटर्स LLP, चंडीगढ़ के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. उपभोक्ता अदालत ने दोनों ही पक्षों की दलीलें सुनी और केस को अच्छे से जानने-समझने के बाद अदालत ने इस मामले में ग्राहक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए टाटा मोटर्स, डीलर को 30,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया.
Tata Nexon Defective:
क्या है पूरा मामला?रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुर्गेश कुमार झा ने 25 मार्च 2022 को आरएसए डायनेमिक मोटर्स एलएलपी, चंडीगढ़ से 8 लाख 96 हजार 900 रुपये में Tata Nexon XM (S) पेट्रोल कार और 55,400 रुपये की एक्सेसरीज को खरीदा था.
अप्रैल 2022 में गाड़ी का इंजन बदला गया लेकिन तीन महीनों में ही नई दिक्कतें गाड़ी में आनी शुरू हुई जैसे की गाड़ी के दरवाजे दिक्कत करने लगे. दुर्गेश कुमार झा का दावा है कि गाड़ी खरीदे तीन महीने हुए और गाड़ी का इंजन, दरवाजों और इनबिल्ट लॉकिंग सिस्टम में दिक्कत आने लगी.
टाटा मोटर्स ने ऐसे किया खुद का बचाव:
रिपोर्ट्स के अनुसार, टाटा मोटर्स ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि वाहन में कोई बड़ी समस्या नहीं थी. गाड़ी पहले ही 12,000 किलोमीटर से ज्यादा चल चुकी थी, कंपनी ने कहा कि सड़क की स्थिति और वाहन के इस्तेमाल के कारण म्यूजिक सिस्टम या सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम में खराबी जैसी छोटी-मोटी समस्याएं होने की उम्मीद थी.
वहीं, डीलर ने तर्क देते हुए कहा कि इंजन बदलने के बाद, इंजन से जुड़ी कोई और समस्या नहीं थी. डीलर ने यहां तक कहा कि कस्टमर ने कम से कम तीन बार किसी दूसरी एजेंसी से अपनी गाड़ी की सर्विस करवाई थी.
दोनों पक्षों की दलीलों के बाद कोर्ट का फैसला:
कोर्ट ने पाया कि नई गाड़ी में कई तरह की समस्याएं थी जिस वजह से कस्टमर को बार-बार वर्कशॉप जाना पड़ा. अदालत ने फैसला सुनाया कि वारंटी में होने के बावजूद अपनी कार का इस्तेमाल न कर पाने की वजह से दुर्गेश कुमार झा को हुई मानसिक पीड़ा के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए.